गजनवी और गोरी
asdfasdf
November 18, 2018

गजनवी और गोरी
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भरतपुर के जाट वंश का इतिहास |
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👉भरतपुर का जाट वंश- ➯राजस्थान के पूर्वी भाग भरतपुर, धौलपुरस डींग आदि क्षेत्रों पर जाट वंश का शासन था। ➯राम के भाई भरत के नाम पर ही इस राजवंश का नाम भरतपुर राजवंश पड़ा है। 👉गोकुल जाट- ➯1669 ई. में मथुरा क्षेत्र के जाटों द्वारा स्थानीय जमीदार गोकुल जाट के नेतृत्व में औरंगजेब के खिलाफ पहला संगठित विद्रोह किया गया था। ➯औरंगजेब के खिलाफ यह पहला हिन्दु विद्रोह था। ➯10 मई 1666 को गोकुल जाट (जाटों) व औरंगजेब की सेना में तिलपत का युद्ध हुआ था। ➯तिलपत के युद्ध में मुगल फौजदार हसन अली खां ने गोकुल जाट को पराजित कर मार डाला था। 👉राजाराम जाट- ➯गोकुल जाट के बाद राजाराम जाट ने जाट विद्रोह का नेतृत्व किया। ➯1685 ई. में राजाराम के नेतृत्व में दूसरा जाट विद्रोह हुआ था। ➯सिकन्दरा (आगरा) में स्थित अकबर के मकबरे को लूटा तथा मकबरे में अकबर की हड्डियों को निकाल कर हिन्दु विधियों से जला दिया था। ➯1688 ई. में औरंगजेब के पौत्र तथा आमेर के शासक बिसन सिंह ने राजाराम को पराजित किया। 👉चूडामन जाट- ➯1688 ई. में राजाराम की मृत्यु के बाद उनके भतीजे चूडामन या चूड़ामन ने जाट नेतृत्व की बागडोर संभाली। ➯चूडामन जाट ने थून में किला बनाकर अपना राज्य स्थापित किया। 👉बदन सिंह जाट- ➯बदन सिंह जाट ने आगरा व मथुरा पर अधिकार करके भरतपुर के नये राजघराने की नींव डाली। ➯बदनसिंह जाट ने डीग, कुम्हेर, बैर व भरतपुर में नये दुर्ग बनवाये। ➯बदनसिंह जाट के पुत्र सूरजमल जाट ने सोधर के निकट दुर्ग का निर्माण करवाया जो भरतपुर या लोहगढ़ या अजयगढ़ दुर्ग के नाम से प्रसिद्ध हुआ। ➯बदनसिंह जाट ने भरतपुर को अपनी राजधानी बनाया। ➯वृंदावन में एक मंदिर बनवाया तथा डीग के किले में कुछ महलों का निर्माण करवाया। ➯बदनसिंह जाट को जयपुर नरेश सवाई जयसिंह ने ब्रजराज की उपाधि प्रदान कर डीग परगने की जागीर दी। 👉महाराजा सूरजमल जाट (1756-1763 ई.)- ➯महाराजा सूरजमल जाट के राज्य में आगरा, मथुरा, मेरठ, अलीगढ़ आदि सम्मिलित थे। ➯अपनी बुद्धिमता व राजनीतिक कुशलता के कारण महाराजा सूरजमल जाट को जाट जाति का प्लेटो कहा जाता है। ➯महाराजा सूरजमल जाट ने 1754 ई. में मराठा नेता होल्कर के कुम्हेर आक्रमण को विफल किया। ➯महाराजा सूरजमल जाट ने 12 जून 1761 को आगरा के किले पर अधिकार किया। ➯महाराजा सूरजमल जाट ने डीग के जलमहलों का निर्माण करवाया। ➯जलमहलों में गोपाल भवन, नंद भवन, केशव भवन, सावन भादौ भवन आदि प्रसिद्ध थे। ➯1763 ई. में नजीब खाँ रोहिला के साथ युद्ध करते हुए महाराजा सूरजमल जाट की मृत्यु हो गई। ➯महाराजा सूरजमल जाट की पत्नी किशोरी देवी अपनी बुद्धिमता के लिए प्रसिद्ध थी। 👉जवाहर सिंह- ➯महाराजा सूरजमल के बाद उसका पुत्र जवाहर सिंह भरतपुर का शासक बना था। ➯जवाहर सिंह ने दिल्ली पर आक्रमण किया तथा विजय के उपलक्ष में जवाहर सिंह जाट ने दिल्ली के लाल किले के दरवाजे को भरतपुर के किले में लगवाया था। 👉रणजीत सिंह- ➯29 सितम्बर 1803 ई. में अंग्रेजी सरकार के प्रतिनिधि लाॅर्ड लेक डाउन वेल ने रणजीत सिंह के साथ संधि की। 👉बृजेन्द्र सिंह- ➯आजादी के समय भरतपुर का शासक बृजेन्द्र सिंह जाट था। ➯स्वतंत्रता के बाद भरतपुर मत्स्य संघ में विलय हुआ |
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माही नदी |
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👉माही नदी का उद्गम स्थल- ➯मध्य प्रदेश के धार जिले में सरदारपुरा के मिन्डा गांव के निकट विंध्याचल पर्वत श्रेणी में स्थित मेहद झील से माही नदी निकलती है। 👉भारत में माही नदी का बहाव क्षेत्र या प्रवाह क्षेत्र- ➯भारत में माही नदी क्रमशः मध्य प्रदेश, राजस्थान तथा गुजरात तीन राज्यों में बहती है। 👉राजस्थान में माही नदी का बहाव क्षेत्र- ➯राजस्थान में माही नदी बांसवाड़ा, प्रतापगढ़ तथा डूंगरपुर जिलों में से बहने के बाद गुजरात में खम्भात की खाड़ी (अरब सागर) में गिर जाती है। ➯माही नदी राजस्थान में बांसवाड़ा जिले के खांदू गांव में प्रवेश करती है। ➯राजस्थान में माही नदी के प्रवाह क्षेत्र या बहाव क्षेत्र को छप्पन का मैदान कहते है। 👉माही नदी के उपनाम या अन्य नाम- 1. वागड़ की गंगा 2. कांठल की गंगा 3. दक्षिण राजस्थान की स्वर्ण रेखा 4. आदिवासियों की गंगा 👉माही नदी की कुल लम्बाई- ➯भारत में माही नदी की कुल लम्बाई 576 किलोमीटर है। ➯राजस्थान में माही नदी की कुल लम्बाई 171 किलोमीटर है। 👉माही नदी की सहायक नदियां- 1. इरू नदी 2. सोम नदी 3. जाखम नदी 4. अनास नदी 5. हरण नदी 6. चाप नदी 7. मोरेन व भादर नदी ➯माही नदी की सहायक नदियों में इरू नदी माही नदी में माही बांध से पहले मिल जाती है तथा शेष सभी सहायक नदियां माही बांध के बाद इसमें आकर मिलती है। ➯चाप नदी व अनास नदी माही नदी में बायीं तरफ से तथा शेष सहायक नदियां दायीं ओर से मिलती है। 👉कर्क रेखा- ➯माही नदी एकमात्र ऐसी नदी है जो कर्क रेखा को अंर्राष्ट्रीय स्तर पर दो बार काटती है या दो बार पार करती है। 👉डूंगरपुर तथा बांसवाड़ा- ➯माही नदी राजस्थान के डूंगरपुर तथा बांसवाड़ा जिलों के बीच से गुजर कर सीमा बनाती है। 👉माही बजाज सागर बांध- ➯माही बजाज सागर बांध राजस्थान का सबसे लम्बा बांध है। ➯माही बजाज सागर बांध माही नदी पर राजस्थान के बांसवाड़ा जिले के बोरखेड़ा गांव में स्थित है। ➯माही बजाज सागर बांध की कुल लम्बाई 3109 मीटर है। ➯माही बजाज सागर बांध से माही बजाज सागर बांध परियोजना निकाली गई है जो की गुजरात तथा राजस्थान के बीच चल रही है। ➯माही बजाज सागर बांध परियोजना से राजस्थान के डूंगरपुर तथा बांसवाड़ा जिले लाभांवित होते है। 👉कागदी पिकअप बांध- ➯कागदी पिकअप बांध माही नदी के उपर बांसवाड़ा जिले में स्थित है। 👉माही साइफन बांध- ➯माही साइफन बांध माही नदी पर डूंगरपुर जिले में स्थित है। ➯माही साइफन बांध से भीखाभाई सागवाड़ा परियोजना निकाली गई है। ➯भीखाभाई सागवाड़ा परियोजना डूंगरपुर जिले में चल रही है। 👉त्रिवेणी संगम- ➯डूंगरपुर जिले की साबला सहसील के नवाटापरा गांव में सोम, माही व जाखम तीनों नदियों का त्रिवेणी संगम स्थित है। 👉बेणेश्वर धाम- ➯सोम, माही व जाखम नदियों के त्रिवेणी संगम पर डूंगरपुर जिले की साबला तहसील के नवाटापरा गांव में ही बेणेश्वर धाम स्थित है। ➯बेणेश्वर धाम पर प्रतिवर्ष संत मावजी की याद में माघ पूर्णिमा के दिन मेला लगता है। ➯बेणेश्वर धाम को आदिवासियों का कुम्भ तथा बागड़ का पुष्कर कहा जाता है। ➯बेणेश्वर धाम की स्थापना संत मावजी ने की थी। 👉दक्षिणी राजस्थान- ➯माही नदी दक्षिणी राजस्थान की प्रमुख नदी मानी जाती है। 👉गुजरात- ➯माही नदी रामपुरा के पास पंचमहल (गुजरात) नामक स्थान पर गुजरात में प्रवेश करती है। ➯माही नदी पर पंचमहल (रामपुरा, गुजरात) में कडाना बांध बनाया गया है। 👉माही नदी का समापन या मुहाना- ➯माही नदी गुजरात में से बहते हुई अन्त में खंभात की खाड़ी (अरब सागर) में गिर जाती है। |
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