प्रान्त राजधानी
उत्तरापथ तक्षशिला
अवन्ति राष्ट्र उज्जयिनी
कलिंग प्रान्त तोसली
दक्षिणापथ सुवर्णगिरी
प्राशी या प्राची पाटलिपुत्रा
۞ कौटिल्य ने सप्तांग सिद्धान्त या राज्य के सात अंग बतलाये हैं-राजा, अमान्य, तनपद, दुर्ग, कोष, सेना और मित्रा।
۞ मौर्य पितृसत्तात्मक राजत्व के समर्थक थे। अशोक अपने वृहत शिलालेख प्ट में कहता है। श्सभी मनुष्य मेरी संतान हैश्। राजा प्रजा के कल्याण और हित को काफी महत्व देते थे। राजा की सहायता के लिए एक मंत्रिपरिषद होती थी जो राजा को प्रशासन से संबंधित सलाह मशविरा देती थी लेकिन राजा मंत्रिपरिषद की सलाह मानने को बाध्य नहीं था। अंतिम निर्णय राजा का ही होता था।
۞ अमात्य प्रशासनिक कार्य में सम्मिलित विशाल प्रशासनिक वर्ग को कहा जाता था।
۞ अर्थशास्त्रा में शीर्षस्थ अधिकारी के रूप में 18 श्तीर्थश् का उल्लेख है, जिन्हें 48 हजार पण वार्षिक वेतन मिलता था-
1ण् पुरोहित मुख्य पुजारी
2ण् मंत्रिण मुख्य मंत्री
3ण् सेनापति सेना का सर्वोच्च अधिकारी
4ण् युवराज राजपुत्रा
5ण् दौवारिक राजमहलों की देख-रेख करने वाला
6ण् दंडपाल पुलिस प्रमुख
7ण् दुर्गपाल देश के भीतर दुर्गों का रक्षक
8ण् अंतपाल बाहृय सुरक्षा का प्रमुख
9ण् आंतेवाशिक हरम का प्रमुख
10ण् प्रशास्ता राजाज्ञाएं लिपिब) करने वाला
11ण् नायक सेना का प्रमुख संचालक
12ण् व्यावहारिक मुख्य न्यायाधीश (धर्मस्थीय न्यायालय काद्ध
13ण् प्रदेष्टा फौजदारी न्यायालयों का न्यायाधीश
14ण् नागरक नगर का शासनाधिकारी
15ण् समाहर्ता कर संग्रहकर्ता
16ण् सन्निधाता कोषाध्यक्ष
17ण् कर्मान्तिक खान का प्रमुख अधिकारी
18ण् मंत्रिपरिषाध्यक्ष परिषद का अध्यक्ष
राजस्व प्रशासन:
۞ राजस्व एकत्रा करना, आय-व्यय का ब्यौरा रखना तथा वार्षिक बजट तैयार करना समाहर्ता के कार्य थे। वह अक्षपटलाध्यक्ष (महालेखापाल) के कार्यों के निरीक्षण द्वारा आय तथा व्यय पर नियंत्राण रखता था।
۞ पिंडकर एक प्रकार का रिवाजी कर था जिसका निर्धारण सामूहिक रूप से होता था। गांवों द्वारा उत्पाद के रूप में देय कर था।
۞ हिरण्य कर एक प्रकार का नगर कर था।
۞ सेना भक्तम सेना कर था जिस क्षेत्रा से सेना गुजरती थी वहां के निवासियों पर लगाया जाता था।
۞ प्रणय आपातकालीन कर था।
۞ विष्टि बेगार के रूप में लिया जाने वाला कर था।
۞ उद्रंग सिंचाई कर था।
सैन्य विभाग:
۞ मौर्य शासक के पास एक विशाल और सुसंगठित सेना थी। कौटिल्य ने विभिन्न प्रकार के सैनिकों का उल्लेख किया है जैसे पारम्परिक सैनिक (मौलद्धए भाड़े के सैनिक (भृतकद्धए लंगली कबीलों के सैनिक (आटविक) तथा मित्राबल।
۞ मेगास्थनीज के अनुसार सैन्य विभाग 30 सदस्यीय एक सर्वोच्च परिषद के नियंत्राण में कार्य करती थी जो 6 भागों में विभाजित था।
۞ सेनापति सैन्य विभाग का सबसे बड़ा अधिकारी होता था तथा नयक युद्धक्षेत्रा में सेना का नेतृत्व करने वाला होता था।
गुप्तचर विभाग:
۞ मौर्य साम्राज्य के अंतर्गत् गुप्तचर विभाग सुसंगठित था। गुप्तचरों के द्वारा राजा एक ओर राजकीय अधिकारियों पर नियंत्राण रखता था और दूसरी ओर जनता के विचारों, शिकायतों तथा भावनाओं की जानकारी प्राप्त करता था यह विभाग श्महातात्यापसर्पश् के अधीन काम करता था।
۞ गुढ़पुरुष अर्थशास्त्रा में वर्णित गुप्तचर थे।
۞ दो प्रकार के गुप्तचरों का उल्लेख है-
संस्था: ऐसे गुप्तचर थे जो एक ही स्थान पर संगठित होकर गुप्तचरी करते थे।
संचार: ऐसे गुप्तचर जो एक स्थान से दूसरे स्थान पर घूमते हुए गुप्तचरी करते थे।
न्याय व्यवस्था:
۞ पाटलिपुत्रा में स्थित केन्द्रीय न्यायालय सर्वोच्च न्यायालय था। सम्राट सर्वोच्च न्यायाधीश होता था।
۞ न्यायालय दो भागों में विभाजित था-
धर्मस्थीय: यह दीवानी अदालत थी। न्याय निर्णय तीन धर्मस्थ या व्यावहारिक तथा तीन अमात्य करते थे। इसमें पेशे होने वाली चोरी, डाके व लूट के मामलों को साहस कहा जाता था।
कंटक-शोधन: एक तरह से फौजदारी अदालत थी। राज्य तथा व्यक्ति के बीच विवाद न्याय का विषय था। न्याय तीन प्रदेष्टि तथा तीन अमात्य मिलकर करते थे।
۞ मुख्य स्थानों पर पुलिस मुख्यालय की व्यवस्था की गयी थी। 800 गांवों के लिए स्थानीय मुख्यालय, 400 गांवों के लिए द्रोणमुख, 200 गांवों के लिए खार्वटिक तथा 10 गांवों के लिए एक संग्रहण मुखालय था।
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