जन्म से पहले के संस्कार /रीति रिवाज/ रस्मे |
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👉जन्म से पहले के संस्कार- ➯जन्म से पहले सम्पन होने वाले संस्कार या रीति रिवाज कुल 3 है जैसे- 1. गर्भाधारण 2. पुंसवन 3. सीमंतो नयन (सिमन्तोउन्नयन) |
जन्म से संबंधित संस्कार/ रीति रिवाज/ रस्मे |
👉जन्म के संबंधित संस्कार- 1. गर्भाधारण 2. पंचमासी 3. अठमासी 4. जन्म या जातकर्म 5. नामकरण 6. पनघट पूजा/ कुआ पूजन/ जलवा पूजन 7. जडूला/ मुंडन 8. सुवाहड़ा 9. कौथला 👉पनघट पूजा/कुआ पूजन/ जलवा पूजन- ➯बच्चे के जन्म के कुछ दिनों बाद या सवा महिने बाद पनघट/ कुआ पूजन की जाती है जिसे जलवा पूजन भी कहते है। 👉जडूला/ मुंडन- ➯बच्चे के जन्म के 2 या 3 वर्ष बाद जब पहली बार बच्चे के बाल काटे जाते है उसे जडूला उतारना या मुंडन कहते है। 👉सुवाहड़ा- ➯जच्चा (बच्चे की माँ) को सौंठ, अजवाईन, घी तथा खांड के लड्डू बनाकर देना ही सुवाहड़ा कहलाता है। 👉कौथला- ➯बेटी के पहले प्रसव होने पर उसके पीहर वालों द्वारा जवांई तथा जवांई के संबंधियों को भेंट देना ही कौथला कहलाता है। |
जन्म के बाद के संस्कार/ रीति रिवाज/ रस्मे |
👉जन्म के बाद के संस्कार- 1. उपनयन संस्कार 2. समावर्तन संस्कार 1. उपनयन संस्कार- ➯उपनयन संस्कार को यज्ञोपवित संस्कार भी कहते है। ➯उपनयन संस्कार में बालक की शिक्षा का प्रारम्भ होता है। या बालक को गुरु के पास शिक्षा के लिए भेजा जाता है। ➯उपनयन संस्कार ब्राह्मण, क्षत्रिय व वैश्य इन तीनों वर्णो को प्राप्त है लेकिन शूद्र वर्ण को प्राप्त नहीं है। 2. समावर्तन संस्कार- ➯समावर्तन संस्कार में बालक की शिक्षा का समापन होता है। |
विवाह से संबंधित संस्कार/ रीति रिवाज/ रस्मे |
👉विवाह के संस्कार- 1. बरी पड़ला 2. पहरावणी/ रंगबरी (समठुणी) 3. सामेला/ मधुपर्क (गोरवा लेना) 4. बढ़ार 5. बिनोटा 6. हथलेवा/ पाणिग्रहण संस्कार 7. हलदायत की पूजा/ गणेश पूजा 8. औलंदी 9. पैसारो 10. मुकलावा/ गोना 11. चवरी छाना 12. रीत 13. सोटा-सोटी 14. सिंजारा 15. रियाण 16. लीला मोरिया 👉बरी पड़ला- ➯वर पक्ष की तरफ से वधु के लिए वस्त्र एवं मिठाई भेजना ही बरी पड़ला कहलाता है। 👉पहरावणी/ रंगबरी (समठुणी)- ➯बारात विदाई (समठुणी) के समय वधु के पिता द्वारा प्रत्येक बाराती को उपहार स्वरूप भेंट प्रदान करना ही पहरावणी/ रंगबरी कहलाता है। 👉सामेला/ मधुपर्क- ➯वधु का पिता अपने सगे संबंधियों के साथ बारात की अंगुवानी करना या स्वागत करना (गोरवा लेना) ही सामेला/ मधुपर्क कहलाता है। 👉बढ़ार- ➯सामूहिक प्रीतिभोज ही बढ़ार कहलाता है। 👉बिनोटा- ➯वर वधु के पैरों की जूतियां को बिनोटा कहते है। 👉हथलेवा/ पाणिग्रहण- ➯फेरो के मंडप में वर व वधु के हाथ मिलाना ही हथलेवा/ पाणिग्रहण संस्कार कहलाता है। 👉हलदायत की पूजा/ गणेश पूजा- ➯वर व वधु को पिठी लगना या वर व वधु का बाण/बान बैठाना ही हलदायत की पूजा/ गणेश पूजा कहलाता है। 👉औलंदी- ➯वधु जब पहली बार अपने ससुराल आती है उस समय वधु के साथ आने वाला वधु का भाई या रिश्तेदार ही औलंदी कहलाता है। 👉पैसारो- ➯वधु जब पहली बार ससुराल आती है तो घर के मुख्य दरवाजे पर सात थाली (6 थाली व 1 कचोला) रखी जाती है, वर इन थालियों को इधर-उधर करता है तथा वधु इन थालियों को इकठा करती है इसी परम्परा को ही पैसारो कहते है। 👉मुकलावा/ गोना- ➯अवयस्क विवाहित कन्या को वयस्क हो जाने पर उसे ससुराल भेज जाता है इसी परम्परा को ही मुकलावा/ गोना कहते है। 👉चवरी छाना- ➯फेरो के मंडप को चवरी छाना कहा जाता है। 👉रीत- ➯गोद भराई की रस्म को रीत कहते है। 👉सोटा-सोटी- ➯विवाहोपरान्त दूल्हा व दुल्हन के द्वारा लकड़ी (सोटी) से खेले जाने वाला खेल ही सोटा-सोटी कहलाता है। 👉सिंजारा- ➯वह पर्व (त्योहार) जिसमें पुत्री एवं पुत्रवधु के लिए साड़ी, श्रृंगार सामग्री व मिठाई आदि भेजे जाते है सिंजारा कहलाता है। 👉रियाण- ➯पश्चिमी राजस्थान में विवाह के दुसरे दिन अफीम पिलाकर मेहमानों का सम्मान करना रियाण कहलाता है। 👉लीला मोरिया- ➯लीला मोरिया आदिवासियों की वैवाहिक रस्म है। |
शोक/ मृत्यु से संबंधित संस्कार/ रीति रिवाज/ रस्मे |
👉मृत्यु के संस्कार- 1. बखेर 2. आधेटा/ आधेठा/ आघेटा 3. पिंडदान 4. लौपा देना 5. सांतरवाड़ा 6. औसर/ मौसर/ नुक्ता/ काज/ खर्च 7. भदर 8. जौसर 9. कांधिया/ कांदिया 10. बैकुण्डी 11. लोकाई 👉बखेर- ➯शव यात्रा के दौरान शव के उपर से पैसे, खील, पतासा, रूई, मूंगफली आदि फेकना ही बखेर कहलाता है। 👉आधेटा/ आधेठा/ आघेटा- ➯शव यात्रा के दौरान कांधियों की दिशा परिवर्तित करना ही आधेटा कहलाता है। 👉पिंडदान- ➯कांधियों की दिशा परिवर्तित करते समय पशु पक्षियों के लिए अनाज का पिंड रखना ही पिंडदान कहलाता है। 👉लोपा देना- ➯चिता में आग देना ही लोपा देना कहलाता है। 👉सांतरवाड़ा/सातवाड़ा- ➯दाहसंस्कार के बाद स्नान करना या हाथ पैर धोना ही सांतरवाड़ा कहलाता है। या अंत्येष्ठि क्रिया में गये हुये व्यक्तियों के द्वारा स्नान कर के मृतक व्यक्ति के घर जाकर उसके रिश्तेदारों को सांत्वना देना सातरवाड़ा कहलाता है। 👉औसर/ मौसर/ नुक्ता/ काज/ खर्च- ➯मृत्यु भोज ही औसर/ मौसर/ नुक्ता/ काज/ खर्च कहलाता है। 👉भदर- ➯कांधियों का सिर मुंडवाना , दाड़ी, मूछे कटवाना ही भदर कहलाता है। 👉जौसर- ➯किसी व्यक्ति द्वारा जीते जी अपना काज/ खर्च करवाना ही जौसर कहलाता है। 👉कांधिया/ कांदिया- ➯अर्थी/ बैकुण्डी/ शव को ले जाने वाले चार व्यक्तियों को कांधिया/ कांदिया कहते है। 👉बैकुण्डी- ➯बांस या लकड़ी की तैयार की जाने वाली अर्थी को बैकुण्डी कहते है। 👉लोकाई- ➯लोकाई आदिवासियों की शोक/मृत्यु से संबंधित रस्मे है। |
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राजस्थान के प्रमुख रीति रिवाज
Reviewed by asdfasdf
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August 07, 2018
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